अनुनासिकता और अनुस्वार
अनुनासिकता: सभी स्वर अनुनासिक हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में हव मुखविवर और नासिका विवर दोनों विवरों से निकलती है। लिखते समय अनुनासिकता को दो प्रकार से लिखा जाता है-
(i) चन्द्रबिंदु ( ँ ) द्वारा, (ii) बिंदु ( ं ) द्वारा
चन्द्रबिन्दु किसे कहते हैं | Chandrabindu Kise Kahate Hain
(i) चन्द्रबिंदु (Chandrabindu) का प्रयोग शिरोरेखा के ऊपर मात्रा न होने पर होता है;
चंद्र बिंदु वाले शब्द (Chandrabindu Words Examples) :— धुआँ, गाँव, साँप, नदियाँ, मालाएँ जाऊँगा, जहाँ, कहाँ, हूँ।
बिंदु किसे कहते हैं | Bindu Kise Kahate Hain
(ii) बिन्दु (Bindu)का प्रयोग शिरोरेखा के ऊपर कोई मात्रा होने पर होता है;
Bindu Wale Shabd :सिंचाई, ईंट, नींद, मैं, हैं, चौकना, भौंह, बच्चों, पढ़ीं, क्योंकि में |
अनुस्वार किसे कहते हैं | Anuswar Kise Kahate Hain
अनुस्वार (Anuswar) : नासिक्य व्यंजन अर्द्धव्यंजन के रूप में वर्गीय व्यंजनों के साथ संयुक्त होने पर विकल्प में अनुस्वार का प्रयोग होता है।
Anuswar Words Examples :–
गङ्गा- गंगा, चञ्चल चंचल, दण्ड-दंड, नन्द- नंद, कम्पन कंपन आदि ।