शुद्ध हिंदी कैसे लिखें | How to Learn Hindi Quickly

अच्छी हिन्दी कैसे सीखें 

हम अच्छी हिन्दी कैसे सीखें? इसके लिए सरल उपाय है। हम ठीक से जान लें कि मातृभाषा ओड़िआ और हिन्दी कहाँ कहाँ समान हैं और कहाँ हैं। उससे हिन्दी का सही उच्चारण करना और लिखना आसान हो जाएगा । 

पहली बात 

हिन्दी और ओड़िआ में स्वर ध्वनियाँ और मात्राएँ लगभग समान हैं। कुछ फर्क है उन पर ध्यान दें । 

दोनों भाषाओं में ह्रस्व और दीर्घ स्वर हैं। देखने में ये बराबर लगते हैं। लेकिन इनका उच्चारण भिन्न होता है। ओड़िआ बोलते समय ह्रस्व-दीर्घ उच्चारण पर ध्यान नहीं दिया जाता, जबकि हिन्दी भाषी इनका स्पष्ट उच्चारण करते हैं। दीर्घ स्वर पर दुगुना समय लगाना चाहिए। 

हिन्दी अ ओड़िआ की तुलना में अधिक ह्रस्व होता है।

ह्रस्व और दीर्घ स्वर के उच्चारण भेद का अभ्यास करें ! 

कल – काल, रज – राज, कमल – कमाल 

तिन- तीन, कि – की, दिन – दीन 

कुल-कूल, बहुत -बहू , हुँ -हूँ 

ओड़िआ में ह्रस्व स्वर और दीर्घ स्वर के उच्चारण में समान समय लगता

‘ऋ’ का उच्चारण हिन्दी में ‘रि’ जैसा और ओड़िआ में रु जैसा होता है, : 

शब्द       हिंदी उच्चारण     ओड़िआ उच्चारण    

ऋषि          रिषि                   रुषि 

ऋतु           रितु                   रुतु

अमृत         अम्रित                अमृत  

 ‘ऐ’, और ‘औ’ हिंदी में मूलस्वर है तथा संयुक्तस्वर भी -.ऐ (अ+इ) तथा – (अ + उ ) औ 

हिंदी मूलस्वर : ऐसा, ऐनक, पैसा, मैना 

                          औरत, पौधा, मौत, लौटना 

इनका विशेष अभ्यास करना जरूरी है। 

★ हिंदी संयुक्ताक्षर ‘या’ के पूर्व ऐ (अ + इ), (अ + ए) जैसा और ‘आ /वा’ के पूर्व औ (अ + उ), (अ + ओ) जैसा उच्चरित होते हैं, 

जैसे  –  कन्हैया, दैया, नैया, भैया कौआ, पौवा, हौवा 

ओड़िआ में : ऐ और औ मूल स्वर नहीं हैं। केवल इनके संयुक्त रूप  – अइ, अउ ही उच्चरित होते हैं, यद्यपि ऐ औ लिखे जाते हैं।

‘य’ का उच्चारण हिंदी में ज नहीं होता, जबकि ओड़िआ में शब्द के आरंभ में, उपसर्गयुक्त होने पर तथा संयुक्त वर्ण होने पर उच्चारण ज होता है, 

जैसे – 

शब्द          हिन्दी उच्चारण      ओडिआ   

यमुना                  यमुना                     जमुना 

संयोग                  संयोग                     संजोग 

सूर्य                      सूर्य                        सूर्ज्य 

किन्तु हिंदी तथा ओड़िआ में शब्द की मध्य तथा अन्त स्थिति में ‘य’ का उच्चारण होता है। ओड़िआ में ‘य’ के लिए अलग लिपि चिह्न है। 

शब्द           हिन्दी उच्चारण   ओडिआ उच्चारण 

काया                 काया                     काया 

मायामय             मायामय               मायामय 

‘ ल ‘ का उच्चारण हिंदी में  ‘ ल ‘ ही होता है जबकि ओड़िआ में ‘ ल ‘ और ‘ ळ ‘ दो ध्वनियाँ हैं । ओडिआ ‘ ळ ‘ का हिंदी में ‘ ल ‘ जैसा ही होता है, जैसे सरल, फल, हल, जल, कलकल आदि

 ‘ व ‘ का उच्चारण हिंदी में ‘व’ होता है जबकि ओड़िआ में ‘ब’ होता है, 

जैसे—

शब्द        हिन्दी उच्चारण    ओड़िआ उच्चारण

वन                 वन                      बन 

वायु                वायु                     बायु

कविता            कविता                कबिता 

अंग्रेजी की ध्वनि ‘ व ‘ को लिखने के लिए ओड़िआ में अलग लिपि चिह्न व्यवहार किया जाता है। 

इन शब्दों का उच्चारण कीजिए और उच्चारण भेद पहचानिए :- 

बहन – वहन, बार – वार, बात – वात, बजना-  वजन 

हिंदी और ओड़िआ दोनों  में  श,  ष,  स,  वर्ण हैं लेकिन इनके उच्चारण में अन्तर है। हिंदी में ‘ श ‘ बोलते समय जीभ की नोंक को तालु के पास ले जाना पड़ता है। ‘स’ बोलते समय जीभ दन्तमूल के पास चली जाती है। निम्न शब्दों का उच्चारण करके अन्तर को समझें –

राशि, सीसा, श्मशान, सस्ता, शाम, साम (वेद) |

‘ष’ का उच्चारण अधिकतर लोग ‘श’ जैसा कर देते हैं। परन्तु कोशिश करके इसका मूर्धन्य उच्चारण किया जा सकता है, 

जैसे –

धनुष,  षष्ठी,  शेष,  अष्टम

‘ ह ‘ सघोष है, पर शब्द के अन्त में सामान्य रूप से इसका अघोष उच्चारण हो जाता है, जैसे ग्यारह बारह, राह, स्नेह

‘ ह ‘ के पहले आनेवाले ‘ अ ‘ का ऍ (= ह्रस्व  ए) जैसा उच्चारण होता है;

जैसे :-

कहना, नहर, पहले, पहचान, बहन, रहना का क्रमशः केहना, नेहर, – पेहले, पेहचान, बेहन, रेहना, जैसा होता है।

‘ क्ष ‘ का उच्चारण हिन्दी में क्ष जैसा होता है, जब कि ओड़िआ में इसका उच्चारण ‘ख्य’ है। 

शब्द      हिन्दी उच्चारण     ओडिआ उच्चारण 

चक्षु           Chakshu                चख्यु 

परीक्षा        Pariksha         परिख्या 

‘ ज्ञ ‘ का उच्चारण हिंदी में ग्य जैसा होता है, 

जैसे – यग्य, आग्या, प्रतिग्या आदि। कुछ लोग ग्यँ या ज्यँ भी उच्चारण करते हैं।

अनुस्वार (ं) और विसर्ग (:) को सामान्यतः अं  अः  के रूप में लिखा जाता है। इन्हें न स्वर माना जाता है और न व्यंजन | इसलिए इन्हें ‘अयोगवाह’ कहा जाता है। अनुस्वार का उच्चारण इसके बाद के व्यंजन की नासिक्य ध्व की तरह होता है। विसर्ग ‘ ह ‘ का अघोष रूप है। विसर्ग का उच्चारण शब्द के अन्त में तथा उपसर्ग के अन्त में ‘ ह ‘ होता है। जैसे प्रायः (प्राय), विशेषतः

(विशेषतह्), अधःपतन (अधहपतन) जबकि शब्द के मध्य में इसका उच्चारण नहीं होता, 

जैसे- दुःख  दुख) । 

शब्दों का उच्चारण : 

(i) दो वर्णों वाले शब्दों के अंतिम व्यंजन का उच्चारण हलन्त होता है;

जैसे – काम्, राम्, बातू, कम्, बालू, छालू आदि 

(ii) तीन वर्णों वाले शब्दों का अंतिम व्यंजन हलन्त उच्चरित होता है;

जैसे –  कमल, कलम्

(iii) चार वर्णों वाले शब्दों की दूसरी और अंतिम व्यंजन ध्वनि हलन्त उच्चरित होती है;

जैसे– झट्पट्, चमूचम्, मल्मल्, कल्कल् अदि 

(iv) अंतिम अ का उच्चारण नहीं होता ।

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