What Is Samas in Hindi ?
समास का अर्थ है- सम् (पास) + आस (बिठना) । अर्थात् दो स्वतंत्र शब्दों के पास-पास बिठाने को समास कहते हैं। समास प्रक्रिया में बने यौगिक शब्द को समासिक पद, समस्तपद, समासपद समासयुक्त शब्द या समासज पद कहते हैं।
समासज पद को अलग अलग करने की रीति को समास विग्रह या विग्रह कहते हैं । विग्रह के समय दो शब्दों के बीच में कारक चिह्न या पारस्परिक संबंधसूचक शब्द का प्रयोग होता है। समासज पद में इसका लोप हो जाता है।
समास के कितने भेद होते हैं ? Samas Ke Kitne Bhed Hote Hain ?
समास के चार भेद हैं
(i) अव्ययीभाव
(iii) द्वन्द्व
(ii) तत्पुरुष (कर्मधारय और द्विगु इसके अंतर्गत हैं)
(iv) बहुव्रीहि
(क) अव्ययीभाव समास | Avyayibhav Samas and Examples
अव्ययीभाव समास किसे कहते हैं ? | Avyayibhav Samas Kise Kehte Hain ?
इस समास में पूर्वपद अव्यय या उपसर्ग होता है। समस्तपद क्रियाविशेषण (अव्यय) का काम करता है। संज्ञाशब्दों की आवृत्ति से भी अव्ययीभाव समास होता है।
उदाहरण (Examples)
समास विग्रह समासज पद
शक्ति के अनुसार = यथाशक्ति
प्रत्येक दिन = प्रतिदिन
जीवन तक = आजीवन
रात ही रात में = रातोंरात
पहेल पहले = पहले पहल
साल साल = हरसाल
जीवन पर्यन्त = यावज्जीवन
सन्देह के बिना = निस्सन्देह
शक के बिना = बेशक
पेटभर कर = भरपेट
(यथाशक्ति, यथासंभव ,प्रतिपल, प्रतिव्यक्ति, आमरण ,आजन्म ,लापता, लाजवाब, लाइलाज, अनजाने, निघड़क, बेखटके, हररोज, निडर, सहर्ष, एकाएक , हाथोंहाथ, बीचोंबीच, गाँवगाँव, धीरेधीरे)
(ख) तत्पुरुष समास | Tatpurush Samas and Examples
इस समास में उत्तरपद प्रधान होता है, पूर्वपद गौण होता है। उत्तरपद संज्ञा और पूर्वपद विशेषण होता है। विग्रह करते समय शब्दों के बीच कारक चिह्न – को, से, के लिए, का/के/की, में, पर आदि लगते हैं। समासज शब्द में कारक-चिह्न का लोप हो जाता हैं। कारक-चिह्नों के आधार पर इसके छह भेद होते हैं
Types of Tatpurush Samas
(i) कर्म तत्पुरुष | Karma Tatpurush and Examples
इसमें ‘को’ का लोप हे जाता है; जैसे:-
उदाहरण | Examples :-
स्वर्ग को प्राप्त = स्वर्गप्राप्त
शरण को आगत = शरणागत
चिडियों को मारनेवाला = चिड़ीमार
परलोक को गमन = परलोकगमन
गगन को चूमनेवाला = गगनचुम्बी
हस्त को प्राप्त हुआ = हस्तगत
शरण को आगत = शरणागत
सबको जाननेवाला = सर्वज्ञ
काठ को फोड़नेवाला = काठफोड़
(गृहागत, मुँहतोड़ दिवंगत, देशगत, आशातीत)
(ii) करण तत्पुरुष | Karan Tatpurush Samas and Examples
इसमें से / के द्वारा का लोप हो जाता है; जैसे-
उदाहरण (examples) :-
गुणों से युक्त = गुणयुक्त
ईश्वर के द्वारा प्रदत्त = ईश्वरप्रदत्त
आग से जला = आगजला
हस्त से लिखित = हस्तलिखित
मुँह से माँगा = मुँहमाँगा
शोक से आकुल = शोकाकुल
मन से माना हुआ = मनमाना
अकाल से पीड़ित = अकालपीड़ित
(गुरुदत्त, रेखांकित, भूखमरा, तुलसीकृत, प्रेमातुर, मदांध, धनहीन)
(ii) सम्प्रदान तत्पुरुष समास | Sampradan Tatpurush Samas and Examples
इसमें ‘ के लिए ‘ का लोप हो जाता है; जैसे
उदाहरण (examples):-
रसोई के लिए घर = रसोईघर
राह के लिए खर्च = राहखर्च
डाक के लिए गाड़ी = डाकगाड़ी
गुरु के लिए दक्षिणा = गुरुदक्षिणा
देश के लिए भक्ति = देशभक्ति
बलि के लिए पशु = बलिपशु
आराम के लिए कुर्सी = आराम कुर्सी
हवन के लिए सामग्री = हवनसामग्री
(कृष्णार्पण, गोशाला, मार्गव्यय, राज्यलिप्सा, यज्ञवेदी, स्वदेशप्रेम)
(iv) अपादान तत्पुरुष समास | Apadan Tatpurush Samas Examples
इसमें ‘से’ का लोप हो जाता है; जैसे
उदाहरण (examples):-
बंधन से मुक्त = बंधनमुक्त
पथ से भ्रष्ट = पथभ्रष्ट
जन्म से अंध = जन्मांध
देश से निकाला = देशनिकाला
पद से च्युत = पदच्युत
धर्म से विमुख = धर्मविमुख
जाति से भ्रष्ट = जातिभ्रष्ट
भय से भीत = भयभीत
(ऋणमुक्त, ज्ञानमुक्त, गुणहीन, आकाशपतित, पदमुक्त, लक्ष्यभ्रष्ट)
(v) सम्बन्ध तत्पुरुष समास | Sambandh Tatpurush Samas and Examples
इसमें का / की / के का लोप हो जाता है, जैसे-
उदाहरण (examples):-
सेना का पति = सेनापति
कर्ण के फूल = कर्णफूल
घोड़ों की दौड़ = घुड़दौड़
अमृत की धारा = अमृतधारा
राजा की सभा = राजसभा
जल की धारा = जलधारा
सिर का दर्द = सिरदर्द
आम का चूर = अमचूर
(रामानुज, गंगातट, देवमूर्ति, भारतवासी, भातृस्नेह, लोकतंत्र राष्ट्रपति)
(vi) अधिकरण तत्पुरुष समास | Adhikaran Tatpurush Samas and Examples
इसमें में/पर का लोप हो जाता है; जैसे
उदाहरण (examples):-
जल में मग्न = जलमग्न
कवियों में राजा = कविराज
डिब्बे में बन्द = डिब्बाबंद
वन में वास = वनवास
अपने पर बीती = आपबीती
घोड़े पर सवार = घुड़सवार
नरों में श्रेष्ठ = नरश्रेष्ठ
गृह में प्रवेश = गृहप्रवेश
( कलाप्रवीण, पुरुषोत्तम, निशाचर, धर्मवीर शास्त्रप्रवीण, प्रेमनिमग्न )
इनके अतिरिक्त तत्पुरुष समास के और पाँच भेद है; जैसे
(A) उपपद तत्पुरुष
(B) मध्यपदलोपी तत्पुरुष
(C) तत्पुरुष
(D) कर्मधारय तत्पुरुष
(E) द्विगु तत्पुरुष
(A) उपपद तत्पुरुष समास | Uppad Tatpurush Samas and Examples
इस समास का उत्तरपद क्रिया से बना हुआ कृदंत होता है; जैसे
उदाहरण (examples):-
दिवा (दिन) को करनेवाला = दिवाकर
शम् (शांति) को करनेवाला = शंकर
कुंभ को करने वाला = कुंभकार
व्योम (आकाश) में गमन करने वाला = विहंगम
उर से गमन करने वाला = उरग
पंक में जन्म लेने वाला = पंकज
कान को काटने वाला = कनकटा
पय को देने वाला = पयोद
(B) मध्यपदलोपी तत्पुरुष समास | Gadya Pad Lopi Tatpurush Samas and Examples
इसमें पूर्व और उत्तर पद के बीच कारक चिह्न सहित सारे पद लुप्त हो जाते हैं, जैसे –
उदाहरण (examples):-
पवन से चलनेवाली चक्की = पवनचक्की
वन में रहनेवाला मानुष = वनमानुष
तुला में बराबर दिया जानेवाला दान = तुलादान
बैलों से चलेनवाली गाड़ी = बैलगाड़ी
गोबर से बना गणेश = गोबरगणेश
घृत से मिश्रित अन्न = घृतान्न
पर्णों से निर्मित शाला =पर्णशाला
गुरु के संबंध से भाई =गुरुभाई
(C) नञ् तत्पुरुष समास | Nay Tatpurush Samas and Examples
निषेध या अभाव के अर्थ में पूर्वपद ‘न’ के स्थान पर ‘अ’ या ‘अन्’ हो जाता है; जैसे –
न आचार = अनाचार
न आश्रित = अनाश्रित
न आगत = अनागत
न भाव = अभाव
न पूर्ण = अपूर्ण
न संभव = असंभव
न योग्य = अयोग्य
न हित = अहित
(D) कर्मधारय तत्पुरुष समास | Karmadharaya Tatpurush Samas and Examples
इसमें दोनों पदों के बीच विशेषण – विशेष्य (संज्ञा) का संबंध होता है अथवा उपमान -उपमेय का संबंध होता है;
जैसे –
विशेषण – विशेष्य (संज्ञा)
उदाहरण (examples):-
महान् राजा = महाराजा
शुभ आगमन = शुभागमन
अंध विश्वास = अंधविश्वास
पीत अम्बर = पीताम्बर
नीली गाय = नीलगाय
सत् जन = सज्जन
महान् ऋषि = महर्षि
श्याम सुन्दर = श्यामसुन्दर
(सत्संगति, उच्चशिखर, नीलगगन, नीलकंठ, कालापानी, लघुमानव)
उपमान उपमेय के आधार पर कर्मधारय तत्पुरुष समास के तीन उपभेद किये जा सकते हैं
(D1) उपमान कर्मधारय
(D2) उपमित (उपमेय) कर्मधारय
(D3) रूपक कर्मधारय
(D1) उपमान कर्मधारय | upman karmadharaya tatpurush samas and examples
इसमें जिससे उपमा दी जाय वह पहले रहता है तथा जिसकी उपमा दी जाय वह बाद में | इन दोनों पदों के बीच आने वाले के समान , की तरह,जैसा / जैसे / जैसी का लोप हो जाता है, जैसे –
उदाहरण (examples):-
विद्युत् जैसी चंचला =
घन की तरह श्याम = घनश्याम
चन्द्र के समान मुख = चन्द्रमुख
कमल जैसे नयन = कमलनयन
(D2) उपमित कर्मधारय | Upamita Karmadharaya Samas and Examples
इसमें उपमेय पूर्वपद और उपमान उत्तरपद होता है; जैसे –
उदाहरण (examples):-
नर सिंह के समान = नरसिंह
अधर पल्लव के समान = अधरपल्लव
(D3-) रूपक कर्मधारय | Rupak Karmadharaya Samas and Examples
इसमें उपमेय को ही उपमान कह दिया जाता है, अर्थात् एक पर दूसरे का आरोप कर दिया जाता है, जैसे –
उदाहरण (examples):-
मुख ही है चन्द्र = मुखचन्द्र
विद्या ही रत्न = विद्यारत्न
ज्ञान रूपी अमृत =ज्ञानामृत
देह रूपी लता = देहलता
(E) द्विगु तत्तपुरुष | Digu Tatpurush Samas and Examples
इसमें पूर्वपद संख्यावाचक विशेषण होता है और उत्तरपद संज्ञा । पूरा पद समूह का बोध कराता है, जैसे –
तीन लोकों का समूह = त्रिलोक
पाँच वटों का समाहार = पंचवटी
सप्त सिंधुओं का समूह = सप्तसिंधु
दो पहरों का योग = दोपहर
(चौराहा, षड्ऋतु, सप्तपदी, इकन्नी, नवग्रह, सतसई, नवनिधि )
(ग) द्वन्द्व समास | Dwand Samas and Examples
इस समास में दोनों या तीनों पद समान होते हैं। इन पदों के बीच आनेवाला और / या लुप्त हो जाता है; जैसे –
उदाहरण (examples):-
माँ और बाप = माँ-बाप
माता और पिता = मातापिता
अन्न और जल = अन्नजल
आज और कल =आजकल
आगा और पीछा = आगापीछा
सुख और दुःख = सुखदुःख
धर्म या अधर्म = धर्माधर्म
पाप और पुण्य= पाप पुण्य
(बापदादा, राजा-रानी, आचार विचार लोटा डोरी, दाल-भात)
(घ) बहुव्रीहि समास | Bahuvrihi Samas and Examples
इस समास में पूर्वपद या उत्तरपद कोई भी प्रधान नहीं होता। सामासिक पद तीसरेपद (संज्ञा) का विशेषण बन जाता है और उसीका अर्थ भी देता है, जैसे –
उदाहरण (examples):-
दस आननवाले / दस आनन हैं जिसके = दशानन (रावण)
लम्बे उदरवाले / लम्बा उदर है जिसका = लम्बोदर (गणेश)
पीत अम्बरवाले / पीत अम्बर है जिसका = पीताम्बर (कृष्ण)
चक्र धारण करने वाले / चक्र हाथ में हैं जिसके = चक्रधर (विष्णु)
नीलकण्ठवाले / नील कंठ है जिसका = नीलकण्ठ (महेश्वर / शिव)
शांत चित्तवाला / शांत है चित्त जिसका = शान्तचिता
बारह सींगोंवाला / बारह सींग हैं जिसके = बारहसिंगा
फटे कानवाला / फटे है कान जिसके = कनफटा
(कमलनैन, अंशुमाली, वीणापाणि)