वचन (Vachan)
वचन किसे कहते हैं ?
संज्ञा के जिस रूप से संख्या का बोध होता है, उसे वचन कहते हैं ।
हिन्दी भाषा में वचन कितने प्रकार के होते हैं ?
हिन्दी में वचन दो प्रकार के हैं: एकवचन और बहुवचन
एकवचन: एकवचन से एक व्यक्ति या पदार्थ की सूचना मिलती है।
बहुवचन : बहुवचन से एक से अधिक व्यक्तियों या पदार्थों की सूचना मिलती है |
एकवचन से बहुवचन बनाने के नियम :
पुंलिंग शब्द :
(1) आकारांत पुंलिंग शब्द का अंतिम ‘आ’ बहुवचन में ‘ए’ हो जाता है,
जैसे-
एकवचन | बहुवचन | एकवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
लड़का | लड़के | संतरा | संतरे |
घोड़ा | घोड़े | कुत्ता | कुत्ते |
कैला | केले | पहिया | पहिये |
कपड़ा | कपड़े | कमरा | कमरे |
(2) ‘आ’ से भिन्न मात्रा (अ/ई/ई/3/ऊ/ए/ओ) के पुंलिंग शब्द एकवचन और बहुवचन में समान रहते हैं, जैसे
एकवचन | बहुवचन | एकवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
मकान | मकान | साधु | साधु |
बालक | बालक | गुरु | गुरु |
अतिथि | अतिथि | चाकू | चाकू |
मुनि | मुनि | लड्डू | लड्डू |
भाई | भाई | रेडियो | रेडियो |
हाथी | हाथी | जौ | जौ |
स्त्रीलिंग शब्द :
(1) इ /ई /इया में अंत होने वाला स्त्रीलिंग शब्द बहुवचन में ‘इयाँ’ हो जाता है; जैसे
एकवचन | बहुवचन | एकवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
जाति | जातियाँ | नदी | नदियाँ |
रीति | रीतियाँ | बकरी | बकरीयाँ |
लड़की | लड़कियाँ | बुढ़िया | बुड़ियाँ |
स्री | चिड़िया | चिड़ियाँ |
(विशेष : बहुवचन बनाते समय मूल शब्द की ‘ई’ ‘इ’ हो जाती है ।)
( 2 ) इ ई /इया से भिन्न मात्रा (अ / आ / उ ऊ औ) का शब्द बहुवचन में ‘ऐं’ हो जाता है;
एकवचन | बहुवचन | एकवचन | बहुवचन |
---|---|---|---|
गाय | गायें | वस्तु | वस्तुएँ |
बहन | बहनें | ऋतु | ऋतुएँ |
पुस्तक | पुस्तकें | बहू | बहुएँ |
बालिका | बालिकाएँ | झाडू | झाडुएँ |
लता | लताएँ | गौ | गौएँ |
(विशेष – बहुवचन बनाते समय मूल शब्द का ‘ऊ’, ‘उ’ हो जाता है।)
परसर्ग युक्त शब्दों के एकवचन तथा बहुवचन रूप
(1) आकारांत पुंलिंग शब्द के बाद परसर्ग (ने, को, से, के, लिए, का, के, को, में, पर) आने पर अंतिम ‘आ’ एकवचन में ‘ए’ हो जाता है; जैसे-
लड़का + ने = लड़के ने
पंखा + से = पंखे से
बच्चा + को = बच्चे को
कमरा + में = कमरे में
(2) आकारांत पुंलिंग शब्दों को छोड़कर अन्य सभी पुंलिंग और स्त्रीलिंग शब्द एक में यथावत् रहते हैं; जैसे –
घर में, अतिथि को, भालू का, रेडियो पर, बहन ने, रात को, आँख से, बालिका का, बहू को, गौ के लिए
(3) इ/ईकारांत पुंलिंग तथा स्त्रीलिंग शब्द बहुवचन में ‘यो’ युक्त हो जाते हैं,
जैसे- अतिथियों को हाथियों पर भाइयों से विधियों की लड़कियों में, नदियों का
(4) इ/ ईकारांत शब्दों को छोड़कर सभी मात्रा के पुंलिंग और स्त्रीलिंग शब्द बहुवचन में ‘ओं’ युक्त हो जाते हैं;
जैसे – घरों में, बहनों को, लड़कों से, लताओं पर, मालाओं का, बालिकाओं की ।
संबोधन में शब्दों के एकवचन तथा बहुवचन रूप
संबोधन करते समय आकारांत पुंलिंग शब्द एक वचन में एकारांत हो जाता है। अन्य सभी पुंलिंग और स्त्रीलिंग शब्द एकवचन में यथावत् रहते हैं।
इ / ईकारांत पुंलिंग तथा स्त्रीलिंग शब्द बहुवचन में ‘यो’ युक्त हो जाते हैं।
इ / ईकारांत से भिन्न मात्रा के पुंलिंग तथा स्त्रीलिंग शब्द बहुवचन में ‘ओ’ युक्त हो जाते हैं।
शब्द के पहले हे, रे, अरे, री, ओ, हे आदि जुड़ते हैं;
जैसे –
• अरे लड़के ! ओ बेटे ! अरे बच्चे !
• हे प्रभु, रे बालक, ओ साथी, अरी बहन, हे बालिका, अरी बहू,
• हे मुनियो, हे साथियो, हे देवियो
• हे बालिकाओ, सज्जनो, मित्रो, हे बच्चों
कुछ विशेष बातें :
• आकारांत पुंलिंग तत्सम शब्द बहुवचन में एकारांत नहीं होते,
जैसे – राजा, पिता, योद्धा, दाता, सखा, देवता, कर्ता, नेता, अभिनेता, महात्मा ,जामाता, युवा, क्रेता, विक्रेता ।
• सम्मानास्पद रिश्तेवाचक आकारांत पुंलिंग शब्द बहुवचन में एकारांत नहीं होते;
जैसे – बाबा, पापा, मामा, काका, चाचा, दादा, नाना, फूफा , जीजा |
• कुछ आकारांत पुंलिंग हिन्दी बहुवचन में एकारांत नहीं होते;
जैसे – अब्बा, खुदा, लाला, मुखिया |
• कुछ शब्द नित्य बहुवचन में रहते हैं;
जैसे – आँसू, ओंठ, दाम, दर्शन, प्राण, बाल, भाग्य, समाचार, हस्ताक्षर होश |
• कुछ शब्दों के साथ वृंद, जन, गण, दल, झुंड, वर्ग, लोग और समूह आदि शब्द जोड़कर बहुवचन रूप बनाएँ जाते हैं;
जैसे- शिक्षक वृंद, छात्रगण, सेवादल भक्तजन, जनसमूह, बच्चे लोग, अधिकारिवर्ग |