रूप विचार
Noun Definition : वाक्य में प्रयुक्त शब्दों को पद कहते हैं। ये पद नाना रूपों में दिखाई देते हैं। इसलिए इन्हें रूप भी कहते हैं।
पद बनते समय मूल शब्द में कभी कुछ परिवर्तन हो जाता है। यह परिवर्तन लिंग, वचन, कारक, पुरुष, काल आदि के कारण हो जाता है।
जैसे –
लिंग के कारण – लड़का जाता है । लड़की जाती है।
वचन के कारण – अच्छा बच्चा पढ़ता है | अच्छे बच्चे पढ़ते हैं।
कारक के कारण – मैं गया | मुझे जाना पड़ा।
पुरुष के कारण – मैं नाचूँगी । वे नाचेंगे ।
काल के कारण – वह खाता है । उसने खाया
कभी-कभी वाक्य में पद बनने पर मूल शब्द में कोई परिवर्तन नहीं होता।
जैसे-
वह जरूर आएगा ।
मेज के नीचे बिल्ली है ।
मनोज और सरोज पढ़ रहे हैं ।
वाह ! तुमने कितना अच्छा गाया ।
अतएव रूप परिवर्तन की दृष्टि से पद दो प्रकार के हैं। जिन पदों का रूप परिवर्तित होता है, वे विकारी हैं, जिनका नहीं होता वे अधिकारी हैं।
विकारी पदों के चार भेद हैं :
(१) संज्ञा (विशेष्य) (२) सर्वनाम, (३) विशेषण, (४) क्रिया अ
विकारी पदों के भी चार भेद हैं :
(१) क्रिया-विशेषण, (२) संबंधबोधक, (३) समुच्चयबोधक, (४) विस्मयादिबोधक इन्हें अव्यय भी कहते हैं।
संज्ञा (sangya)
संज्ञा किसे कहते हैं | Sangya Kise Kahate Hain
किसी व्यक्ति, जाति, द्रव्य, समूह और भाव के नाम को संज्ञा कहते हैं। इसके पाँच भेद होते हैं – व्यक्तिवाचक, जातिवाचक, द्रव्यवाचक, समूहवाचक भाववाचक ।
(i) व्यक्तिवाचक संज्ञा (Vyakti Vachak Sangya):
Vyakti Vachak Sangya Kise Kahate Hain ?
इससे केवल एक का बोध होता है,
Examples :- राम, ऐरावत, कटक, भारत, बिध्य, महानदी, कपिला, कामायनी आदि ।
(ii) जातिवाचक संज्ञा (Jativachak Sangya)
जातिवाचक संज्ञा किसे कहते हैं ? | Jativachak Sangya Kise Kahate Hain ?
इससे एक ही प्रकार की एकाधिक व्यक्तियों, वस्तुओं का यानी पूरी जाति का बोध होता है,
Examples :- पुरुष, स्त्री, बालक, लड़की, कोयल, घोड़ा, पशु, पक्षी, पहाड़, किताब, कुर्सी, कवि, शिक्षिका आदि ।
(iii) द्रव्यवाचक संज्ञा (Dravya Vachak)
द्रव्य वाचक संज्ञा किसे कहते हैं ? | Dravya Vachak Sangya Kise Kahate Hain ?
इनसे किसी द्रव्य या पदार्थ का बोध होता है, जिसे हम केवल माप या तौल सकते हैं, पर गिन नहीं सकते। द्रव्य नवनिर्माण के आधार होते हैं।
Examples :- ताँबा, सोना, चाँदी, तेल, दूध, पानी, आटा, चावल, लकड़ी आदि ।
(iv) समूहवाचक संज्ञा (Samuh Vachak Sangya)
समूह वाचक संज्ञा किसे कहते हैं ? | Samuh Vachak Sangya Kise Kahate Hain ?
इससे अनेक प्राणियों या वस्तुओं के समूह का बोध होता है
Examples :- दल, परिवार, गुच्छा, झुण्ड, कुटुम्ब, पुंज, कक्षा, टोली, भीड़, मण्डली, सभा, सेना आदि ।
(v) भाववाचक संज्ञा (Bhav Vachak Sangya)
भाव वाचक संज्ञा किसे कहते हैं ? | Bhav Vachak Sangya Kise Kahate Hain ?
इससे भाव, दशा, अवस्था, धर्म, गुण या क्रियाव्यापार का बोध होता हैं,
Examples :- क्रोध, बहाव, सौंदर्य, प्रेम, बचपन, बुढ़ापा, टहलना, रोना, लम्बाई, घृणा, ममता, प्रार्थना, पढ़ाई लिखावट आदि ।
भाववाचक संज्ञाओं का निर्माण
कुछ भाववाचक संज्ञाएँ मूल रूप में होती हैं; जैसे – प्रेम, घृणा, झूठ, सच, उत्साह, साहस, लोभ ।
कुछ भाववाचक संज्ञाएँ जातिवाचक संज्ञा, विशेषण, सर्वनाम, क्रिया और अव्यय से बनती हैं। ये हैं –
(क) संज्ञा से : लड़का – लड़कपन, मनुष्य – मनुष्यता, साधु – साधुता
(ख) विशेषण से : खट्टा – खटास, सुन्दर – गरीब सौंदर्य / सुंदरता, अच्छा – अच्छाई, गरीब – गरीबी, काला – कालापन, सफेद – सफेदी, बूढ़ा – बुढ़ापा
(ग) सर्वनाम से : मम – ममता / ममत्व, अहं – अहंकार, आप -आपा, अपना – अपनापन, निज – निजत्व
(घ) क्रिया से : मारना – मार, पढ़ना – पढ़ाई , लिखना – लिखावट, चिल्लाना – चिल्लाहट, बचाना – बचाव, कृ – कार्य
(ङ)अव्यय से दूर -दूरी, निकट – निकटता, अधीन – अधीनता, शाबाश – शाबाशी, समीप – सामीप्य
टहलना, रोना, पढ़ना, आदि क्रियार्थक संज्ञाएँ भी भाववाचक संज्ञा के अन्तर्गत आती हैं जैसे –
सवेरे टहलना स्वास्थ के लिए अच्छा है ।
हर समय रोने से काम नहीं चलेगा ।
आपके आने की सूचना पाकर मैं पढ़ने लगा ।